Mere Mehboob Qayamat Hogi

मेरे महबूब क़यामत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरी नज़रें तो गिला करती हैं
तेरे दिल को भी सनम तुझसे शिकायत होगी
मेरे महबूब

तेरी गली मैं आता सनम
नग़मा वफ़ा का गाता सनम, तुझसे सुना ना जाता सनम
फिर आज इधर आया हूँ मगर
ये कहने मैं दीवाना, ख़त्म बस आज ये वहशत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरे महबूब

मेरी तरह तू आहें भरे
तू भी किसी से प्यार करे और रहे वो तुझसे परे
तूने ओ सनम ढायें हैं सितम, तो ये तू भूल न जाना
के ना तुझपे भी इनायत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरे महबूब क़यामत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरी नज़रें तो गिला करती हैं,तेरे दिल को भी सनम तुझसे शिकायत होगी
मेरे महबूब



Credits
Writer(s): Laxmikant Kudalkar, Pyarelal Ramprasad Sharma
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