Yeh Raat Bheegi Bheegi

ये रात भीगी-भीगी, ये मस्त फिज़ाएँ
उठा धीरे-धीरे वो चाँद प्यारा-प्यारा
ये रात भीगी-भीगी, ये मस्त फ़िज़ाएँ

उठा धीरे-धीरे वो चाँद प्यारा-प्यारा
क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चाँदनी?
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा

इठलाती हवा, नीलम का गगन
कलियों पे ये बेहोशी की नमी
ऐसे मे भी क्यूँ बेचैन है दिल?
जीवन में ना जाने क्या है कमी?

क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चाँदनी?
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा
ये रात भीगी-भीगी, ये मस्त फिज़ाएँ
उठा धीरे-धीरे वो चाँद प्यारा-प्यारा

जो दिन के उजाले में ना मिला
दिल ढूँढे ऐसे सपने को
इस रात की जगमग में डूबी
मैं ढूँढ रही हूँ अपने को

ये रात भीगी-भीगी, ये मस्त फिज़ाएँ
उठा धीरे-धीरे वो चाँद प्यारा-प्यारा
क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चाँदनी?
सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा

ऐसे में कहीं क्या कोई नहीं?
भूले से जो हमको याद करे
एक हल्की सी मुस्कान से जो
सपनों का जहां आबाद करे

ये रात भीगी-भीगी, ये मस्त फिज़ाएँ
उठा धीरे-धीरे वो चाँद प्यारा-प्यारा
क्यूँ आग सी लगा के गुमसुम है चाँदनी?

सोने भी नहीं देता मौसम का ये इशारा
ये रात भीगी-भीगी, ये मस्त फिज़ाएँ
उठा धीरे-धीरे वो चाँद प्यारा-प्यारा



Credits
Writer(s): Shailendra, R S Shankar Singh, Panchal Jaikishen
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