Dinan Dukha Haran

दीनन दुःख हरण देव संतन हितकारी
दीनन दुख हरण देव संतन हितकारी
दीनन दुःख हरण देव

अजामील गीध व्याध इनमें कहो कौन साध
अजामील गीध व्याध इनमें कहो कौन साध
पंछी को पद पढ़ात गणिका सी तारी
दीनन दुःख हरण देव

ध्रुव के सिर छत्र देत प्रह्लाद को उबार लेत
ध्रुव के सिर छत्र देत प्रह्लाद को उबार लेत
भगत हेतु बांध्यो सेतु लंकपुरी जारी
दीनन दुःख हरण देव

तंडुल देत रीझ जात सागपात सों अघात
तंडुल देत रीझ जात सागपात सों अघात
गिनत नहीं जूठे फल खाटे मीठे खारी
दीनन दुःख हरण देव

गज को जब ग्राह ग्रस्यो दुस्सासन चीर खस्यो
गज को जब ग्राह ग्रस्यो दुस्सासन चीर खस्यो
सभाबीच कृष्ण कृष्ण द्रौपदी पुकारी
दीनन दुःख हरण देव

इतने में हरि आय गए बसनन आरुढ़ भए
इतने में हरि आय गए बसनन आरुढ़ भए
सूरदास द्वारे ठाढ़ो
सूरदास द्वारे ठाढ़ो आन्धरो भिखारी
दीनन दुःख हरण देव संतन हितकारी
दीनन दुख हरण देव



Credits
Writer(s): Trad, Ashit Desai
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