Hari Ka Dhyan Laga Man Mere

हरि का ध्यान लगा मन मेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे (सब दुख तेरे)
सुमिरन कर ले साँझ-सवेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे (सब दुख तेरे)

जल में, थल में, नील गगन में
कण-कण में है प्रभु की छाया रे, भाई
जिसने मन की आँखें खोली
उसने उसका दर्शन पाया रे, भाई

जो नर हरि की माला फेरे
छूटे जनम-जनम के फेरे (जनम के फेरे)
हरि का ध्यान लगा मन मेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे (सब दुख तेरे)

डगर-डगर पर झूटा मेला रे
भरमाती है झूटी माया रे, भाई
कौन साथ धन ले जाएगा रे?
कौन साथ धन लेके आया रे, भाई

जग में सबके रैन-बसेरे
साथ किसी के कौन चले रे? (कौन चले रे?)
हरि का ध्यान लगा मन मेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे (सब दुख तेरे)
सुमिरन कर ले साँझ-सवेरे
मिट जाएँगे सब दुख तेरे (सब दुख तेरे)

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
(राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
(राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
(राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
(राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
(राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि)
हाँ, राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
(राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि) हे

राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि, गोपाल कृष्ण हरि
राम कृष्ण हरि...



Credits
Writer(s): Pt. Shivram, Rajesh Johari
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link