Thehro to Sahi

ठहरो तो सही, सोचो तो ज़रा
मौसम की रवानी तुम ही तो हो
ठहरो तो सही, सोचो तो ज़रा
मौसम की रवानी तुम ही तो हो

सावन की रिमझिम मस्त घटा
ये शाम सुहानी तुम ही तो हो
ठहरो तो सही, सोचो तो ज़रा
मौसम की रवानी तुम ही तो हो

आहट-आहट आती है
मैं प्यार से सुनता जाता हूँ
बाग़ों की महकी गलियों से
मैं कलियाँ चुनता जाता हूँ

बेचैनी मेरी धड़कन की
ख़्वाबों की कहानी तुम ही तो हो
ठहरो तो सही, सोचो तो ज़रा
मौसम की रवानी तुम ही तो हो

ऊँचे-ऊँचे पेड़ों पे
जब पंछी सुर में गाते हैं
ऐसा लगता है साज़िंदे
कहीं अपना साज़ बजाते हैं

बुलबुल के पैरों की पायल
भँवरों की ज़ुबानी तुम ही तो हो
ठहरो तो सही, सोचो तो ज़रा
मौसम की रवानी तुम ही तो हो

सावन की रिमझिम मस्त घटा
ये शाम सुहानी तुम ही तो हो
ठहरो तो सही, सोचो तो ज़रा
मौसम की रवानी तुम ही तो हो



Credits
Writer(s): Sameer Anjaan, Nadeem Shravan
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