Phir Se Mausam Bahaaron

फिर से मौसम बहारों का आने को है
फिर से रंगीं ज़माना बदल जाएगा

फिर से मौसम बहारों का आने को है
फिर से रंगीं ज़माना बदल जाएगा
अबकी बज़्म-ए-चराग़ाँ सजा लेंगे हम
ये भी अरमान दिल का निकल जाएगा

आप कर दें जो मुझ पे निगाह-ए-करम
मेरी उल्फ़त का रह जाएगा कुछ भरम

आप कर दें जो मुझ पे निगाह-ए-करम
मेरी उल्फ़त का रह जाएगा कुछ भरम

यूँ फ़साना तो मेरा रहेगा वही
सिर्फ़ उनवान उसका बदल जाएगा

फीकी-फीकी सी क्यूँ शाम-ए-मैख़ाना है?
लुत्फ़-ए-साक़ी भी कम, ख़ाली पैमाना है

फीकी-फीकी सी क्यूँ शाम-ए-मैख़ाना है?
लुत्फ़-ए-साक़ी भी कम, ख़ाली पैमाना है

अपनी नज़रों ही से कुछ पिला दीजिए
रंग महफ़िल का ख़ुद ही बदल जाएगा

मेरे मिटने का उनको ज़रा ग़म नहीं
ज़ुल्फ़ भी उनकी, ऐ दोस्त, बरहम नहीं

मेरे मिटने का उनको ज़रा ग़म नहीं
ज़ुल्फ़ भी उनकी, ऐ दोस्त, बरहम नहीं

अपने होने, ना होने से होता है क्या
काम दुनिया का यूँ भी तो चल जाएगा

आपने दिल जो ज़ाहिद का तोड़ा तो क्या?
आपने उसकी दुनिया को छोड़ा तो क्या?

आपने दिल जो ज़ाहिद का तोड़ा तो क्या?
आपने उसकी दुनिया को छोड़ा तो क्या?

आप इतने तो आख़िर परेशाँ ना हों
वो सँभलते-सँभलते सँभल जाएगा
फिर से मौसम बहारों का आने को है
फिर से रंगीं ज़माना बदल जाएगा
अबकी बज़्म-ए-चराग़ाँ सजा लेंगे हम
ये भी अरमान दिल का निकल जाएगा



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Zahid Zahid
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