Dil Hai Ki Manta Nahin

दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं
मुश्किल बड़ी है रस्म-ए-मोहब्बत

ये जानता ही नहीं
दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं
ये बेकरारी क्यूं हो रही है

ये जानता ही नहीं
दिल है कि मानता नहीं

दिल है कि मानता नहीं

दिल तो ये चाहे
हर पल तुम्हें हम
बस यूं ही देखा करें
मर के भी हम ना

तुमसे जुदा हों

आओ कुछ ऐसा करें
मुझ में समा जा
आ पास आ जा
हमदम मेरे, हमनशीं
दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं

तेरी वफ़ाएं, तेरी मुहब्बत
सब कुछ है मेरे लिए
तूने दिया है, नज़राना दिल का
हम तो हैं तेरे लिए
ये बात सच है, सब जानते हैं
तुमको भी है, ये यक़ीं
दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं
मुश्किल बड़ी है रस्म-ए-मोहब्बत
ये जानता ही नहीं
दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं



Credits
Writer(s): Faaiz Anwar
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