Maili Chadar Odh Ke Kaise

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ।

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ।

हे पावन परमेश्वर मेरे,
मन ही मन शरमाऊँ॥

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ।

मैली चादर ओढ़ के कैसे
तूमने मुझको जग में भेजा,

निर्मल देकर काया।
आकर के संसार में मैंने,

इसको दाग लगाया।
जनम् जनम् की मैली चादर,

कैसे दाग छुड़ाऊं॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे,

द्वार तुम्हारे आऊँ।
मैली चादर ओढ़ के कैसे...
निर्मल वाणी पाकर तुझसे,

नाम न तेरा गाया।
नैन मूंदकर हे परमेश्वर,

कभी ना तुझको. ध्याया।
मन वीणा की तारें टूटी,

अब क्या गीत सुनाऊँ॥
मैली चादर ओढ़ के कैसे,

द्वार तुम्हारे आऊँ।
मैली चादर ओढ़ के कैसे...
इन पैरों से चल कर तेरे,

मंदिर कभी न आया।
जहां जहां हो पूजा तेरी,
कभी ना शीश झुकाया।
हे हरिहर मैं हार के आया,
अब क्या हार चढाऊँ
मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ।
मैली चादर ओढ़ के कैसे
द्वार तुम्हारे आऊँ।।
हे पावन परमेश्वर मेरे,
मन ही मन ध्याऊं।
मैली चादर ओढ़ के कैसे,
मैली चादर ओढ़ के कैसे।



Credits
Writer(s): Traditional, Amjad Nadeem
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