Ishq Majboor Hai

इश्क़ मजबूर है भीगे हुए दामन की तरह
इश्क़ मजबूर है भीगे हुए दामन की तरह
आज रोए ना कहीं फिर कोई सावन की तरह
इश्क़ मजबूर...

अपने चेहरे के ख़द-ओ-ख़ाल दिखाऊँ किस को
अपने चेहरे के ख़द-ओ-ख़ाल दिखाऊँ किस को

देखने वाले हैं टूटे हुए दर्पण की तरह
देखने वाले हैं टूटे हुए दर्पण की तरह
आज रोए ना कहीं फिर कोई सावन की तरह
इश्क़ मजबूर...

हर क़दम पर यहाँ ज़ंजीर है दानाई की
हर क़दम पर यहाँ ज़ंजीर है दानाई की

ज़िंदगी, तू तो मिली थी हमें बचपन की तरह
ज़िंदगी, तू तो मिली थी हमें बचपन की तरह
आज रोए ना कहीं फिर कोई सावन की तरह
इश्क़ मजबूर...

दिल को वीराना बना कर जो गए हैं अंजुम
दिल को वीराना बना कर जो गए हैं अंजुम

एक दिन याद करेंगे हमें गुलशन की तरह
एक दिन याद करेंगे हमें गुलशन की तरह
आज रोए ना कहीं फिर कोई सावन की तरह
इश्क़ मजबूर है भीगे हुए दामन की तरह
इश्क़ मजबूर...



Credits
Writer(s): Talat Aziz, Sardar Anjum
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