Rasm -E- Ulfat Sikha Gaya Koi

सुनने वालों को Begum Akhtar का सलाम
आज तक मैं आप के सामने
सिर्फ़ एक गायिका के रूप में ही हाज़िर हुई हूँ
आपसे बातें करने का मौका
तो पहली बार ही मिला है
इस लिए ये कहे बेग़ैर नहीं रह सकती
कि मैं बेहद ख़ुश-नसीब हूँ
जो ऐसे मुल्क मैंने जन्म लिया
यहाँ की फ़जाएँ संगीत से मौत्र हैं
यहाँ के लोग फ़न और फ़नकार से मोहब्बत करते हैं
मुझे भी एक फ़नकार की एहसि'अत से
आप का बहुत प्यार मिला है
आप के प्यार का शुक्रिया हमेशा
मैंने अपनी गायिकी से अदा किया है

रस्म-ए-उल्फ़त
रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई
रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई
रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई
दिल की दुनिया पे छा गया कोई
दिल की दुनिया पे छा गया कोई
रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया

ता क़यामत किसी तरह न बुझे
आग ऐसी लगा गया कोई
आग ऐसी लगा गया कोई
आग ऐसी लगा गया

दिल की दुनिया उजाड़ सी क्यूँ है?
दिल की दुनिया उजाड़ सी क्यूँ है?
क्या यहाँ से चला गया कोई?
क्या यहाँ से चला गया कोई?
क्या यहाँ से चला गया कोई?

वक़्त-ए-रुख़सत गले लगा कर 'Daagh'
वक़्त-ए-रुख़सत गले लगा कर 'Daagh'
हँसते-हँसते रुला गया कोई
हँसते-हँसते रुला गया कोई
रस्म-ए-उल्फ़त सिखा गया कोई
दिल की दुनिया पे छा गया



Credits
Writer(s): Begum Akhtar, Daag
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