Sunder Badan, Sukh Sadan Shyam Ko

सुंदर बदन सुख सदन श्याम को
निरख नयन मन ठाग्यो
सुंदर बदन सुख सदन श्याम को

हौं ठाड़ी वीथिन वै निकस्यो उठत झरोखा घाट्वो
लालन इक चतुराई कीनी गेंद उछार गगन मिस्कायो
बैरन लाज भई री मोको, हौं गंवार मुख ढाक्यो
सुंदर बदन सुख सदन श्याम को

चितवन दे कछु कर गयो मो पै,
चढ्यो रहत ये चित चाख्यो
सूरदास प्रभु सर्बस लै के हंसत हंसत रथ हांक्यो
सुंदर बदन सुख सदन श्याम को
निरख नयन मन ठाग्यो
सुंदर बदन सुख सदन श्याम को



Credits
Writer(s): Traditional
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