Bharat Bhai Kapi Se Urin - Live

भरत भाई
भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
कपि से उऋण हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं

भगवान राम, जानकी जी और लक्षमण
वनवास समाप्त कर के वापस आए
और भरत को वनवास कथा सुना रहे हैं
की देखो भरत हमारे साथ क्या-क्या हुआ

रावण वध भी हुआ और ये कौन-कौन से लोग जिन्होंने
हमारी सहायता करी उसमें, सबसे परिचय कराया
और जब प्रभु ने परिचय कराया हनुमान जी का
तो नेत्र भर आए प्रभु के

और बोले भरत, ये जो कपि हैं, ये जो हनुमान हैं
इन्होंने हम पर जो ऋण चढ़ा दिए हैं
उनसे हम कभी मुक्त नहीं हो सकते
उनसे कभी उऋण नहीं हो सकते

भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
कपि से उऋण हम नाहीं, कपि से उऋण हम नाहीं
कपि से उऋण हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं

देखो भरत, क्या-क्या किया कपि ने
सौ योजन मर्याद समुद्र की
सौ योजन मर्याद समुद्र की
ये कूदी गयो क्षण माहीं

सौ योजन मर्याद समुद्र की, ये कूदी गयो क्षण माहीं
लंका जारी सिया सुधि लायो, पर गर्व नहीं मन माहीं
कपि से उऋण हम नाहीं

भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
कपि से उऋण हम नाहीं

शक्तिबाण लग्यो लछमन के, शक्तिबाण लग्यो लछमन के
शक्तिबाण लग्यो लछमन के, लग्यो लछमन के
शक्तिबाण लग्यो लछमन के
शक्तिबाण लग्यो लछमन के, हाहाकार भयो दल माहीं

शक्तिबाण लग्यो लछमन के, हाहाकार भयो दल माहीं
धौला गिरी कर धर ले आयो, धौला गिरी कर धर ले आयो
भोर ना होने पाई
कपि से उऋण हम नाहीं

भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
कपि से उऋण हम नाहीं

अहिरावन की भुजा उखाड़ी, पैठी गयो मठ माहीं
अहिरावन की भुजा उखाड़ी, पैठी गयो मठ माहीं
और ये पंक्तियाँ बड़ी हृदय स्पर्शी हैं, ध्यान दें
जो भैया, जो भैया हनुमत नहीं होते

जो भैया हनुमत नहीं होते
मोहे को लातो जग माहीं
कपि से उऋण हम नाहीं

भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
कपि से उऋण हम नाहीं

आज्ञा भंग कबहुं नहिं कीन्हीं, आज्ञा भंग कबहुं नहिं कीन्हीं
जहाँ पठायु तहां जाई, जहाँ पठायु तहां जाई
जहाँ पठायु तहां जाई
आज्ञा भंग कबहुं नहिं कीन्हीं, जहाँ पठायु तहां जाई

तुलसीदास, तुलसीदास पवनसुत महिमा
तुलसीदास पवनसुत महिमा, प्रभु निज मुख करत बड़ाई
कपि से उऋण हम नाहीं

भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उऋण हम नाहीं
कपि से उऋण हम नाहीं

भरत भाई, कपि से उऋण हम
कपि से उऋण हम
कपि से उऋण हम नाहीं



Credits
Writer(s): Tulsidas, Anup Jalota
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