Khanjar Se Karo Baat

मस्त नज़रों से देख लेना था
'गर तमन्ना थी आज़माने की
हम तो बेहोश यूँ ही हो जाते
क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की?

ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
मैं क़त्ल हुआ कैसे मिरे यार से पूछो?
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो

फ़र्ज़ अपना मसीहा ने अदा कर दिया लेकिन
फ़र्ज़ अपना मसीहा ने अदा कर दिया लेकिन
फ़र्ज़ अपना मसीहा ने अदा कर दिया लेकिन
किस तरह कटी रात ये बीमार से पूछो
मैं क़त्ल हुआ कैसे मिरे यार से पूछो?
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो

कुछ भूल हुई है तो सज़ा भी कोई होगी
कुछ भूल हुई है तो सज़ा भी कोई होगी
कुछ भूल हुई है तो सज़ा भी कोई होगी
सब कुछ मैं बता दूँगा ज़रा प्यार से पूछो
मैं क़त्ल हुआ कैसे मिरे यार से पूछो?
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो

आँखों ने तो चुप रह के भी रूदाद सुना दी
आँखों ने तो चुप रह के भी रूदाद सुना दी
आँखों ने तो चुप रह के भी रूदाद सुना दी
क्यूँ खुल न सके ये लब-ए-इज़हार से पूछो?
मैं क़त्ल हुआ कैसे मिरे यार से पूछो?
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो

रौनक़ है मिरे घर में तसव्वुर ही से जिस के
रौनक़ है मिरे घर में तसव्वुर ही से जिस के
रौनक़ है मिरे घर में तसव्वुर ही से जिस के
वो कौन था 'राही' दर-ओ-दीवार से पूछो?
मैं क़त्ल हुआ कैसे मिरे यार से पूछो?
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
मैं क़त्ल हुआ कैसे मिरे यार से पूछो?
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो



Credits
Writer(s): Anup Jalota, Rahi Kanpuri
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