Unse Inkar To

उनसे इंकार तो हरगिज़ न गवारा होता
उनसे इंकार तो हरगिज़ न गवारा होता
जान भी देते अगर उनका इशारा होता
उनसे इंकार तो हरगिज़ न गवारा होता

कौन कहता है कि दिन-रात मेरे नाम करो
कौन कहता है कि दिन-रात मेरे नाम करो
एक लम्हा तो मेरे साथ गुज़ारा होता
एक लम्हा तो मेरे साथ गुज़ारा होता
जान भी देते अगर उनका इशारा होता
उनसे इंकार तो हरगिज़ न गवारा होता

तू मसीहा है
मसीहा है, मसीहा लेकिन
तू मसीहा है
मसीहा है, मसीहा लेकिन
बात तो जब थी, मेरे दर्द का चारा होता
बात तो जब थी, मेरे दर्द का चारा होता
जान भी देते अगर उनका इशारा होता
उनसे इंकार तो हरगिज़ न गवारा होता

एक हसरत है जो, पलती है, मेरे सीने में
एक हसरत है जो, पलती है, मेरे सीने में
काश इस शहर में कोई तो, हमारा होता
काश इस शहर में कोई तो, हमारा होता
जान भी देते अगर उनका इशारा होता
उनसे इंकार तो हरगिज़ न गवारा होता

ग़ैर के हाथ से, सागर भी न, लेगा ये 'मुराद'
ग़ैर के हाथ से, सागर भी न, लेगा ये 'मुराद'
तू अगर ज़हर भी देता, तो गवारा होता
तू अगर ज़हर भी देता, तो गवारा होता
जान भी देते अगर उनका इशारा होता
उनसे इंकार तो हरगिज़ न गवारा होता
उनसे इंकार तो हरगिज़ न गवारा होता



Credits
Writer(s): Chandan Dass, Murad Lucknowi
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