Raat Bhar Tanha

रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था
रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था
शहर की आबादियों में अपने जैसा मैं ही था

रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था
शहर की आबादियों में अपने जैसा मैं ही था
रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था

मैं ही दरिया, मैं ही तूफ़ाँ, मैं ही था हर मौज भी
मैं ही दरिया, मैं ही तूफ़ाँ, मैं ही था हर मौज भी

मैं ही ख़ुद को पी गया, सदियों से प्यासा मैं ही था
मैं ही ख़ुद को पी गया, सदियों से प्यासा मैं ही था
शहर की आबादियों में अपने जैसा मैं ही था
रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था

किस लिए कतरा के जाता है, मुसाफ़िर, दम तो ले
किस लिए कतरा के जाता है, मुसाफ़िर, दम तो ले

आज सूखा पेड़ हूँ, कल तेरा साया मैं ही था
आज सूखा पेड़ हूँ, कल तेरा साया मैं ही था
शहर की आबादियों में अपने जैसा मैं ही था
रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था

कितने जज़्बों की निराली ख़ुशबुएँ थीं मेरे पास
कितने जज़्बों की निराली ख़ुशबुएँ थीं मेरे पास

कोई इनका चाहने वाला नहीं था, मैं ही था
कोई इनका चाहने वाला नहीं था, मैं ही था
शहर की आबादियों में अपने जैसा मैं ही था

रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था
शहर की आबादियों में अपने जैसा मैं ही था
रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था
रात-भर तन्हा रहा, दिन-भर अकेला मैं ही था



Credits
Writer(s): Ibrahim Ashq, Hariharan Anantha Subramani
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