Dulhan Koi Jab

दुल्हन कोई जब-जब रचाती है मेहँदी
तो मैके की यादें भुलाती है मेहँदी

दुल्हन कोई जब-जब रचाती है मेहँदी
तो मैके की यादें भुलाती है मेहँदी
निगाहों में जितने हैं सपने कँवारे
सभी को सुहागन बनाती है मेहँदी
दुल्हन कोई जब-जब रचाती है मेहँदी
तो मैके की यादें भुलाती है मेहँदी

सभी बेटियाँ हैं किसी की अमानत
यही रीत दुनिया में सब ने निभाई
पति और पत्नी के पावन मिलन की
ये मेहँदी हमेशा बनी है गवाही

सभी जोड़ियाँ आसमाँ पर हैं बनती
ज़मीं पर उन्हीं को मिलाती है मेहँदी
दुल्हन कोई जब-जब रचाती है मेहँदी
तो मैके की यादें भुलाती है मेहँदी
तो मैके की यादें भुलाती है मेहँदी

वो दहलीज़ रूठी, वो आँगन भी छूटा
जहाँ छे जनम और जाना था मैंने
वो डाली कि जिससे मैं उड़ के गई थी
वहाँ लौट कर तो ना आना था मैंने

हँसाती है मेहँदी, रुलाती है मेहँदी
बनाती है मेहँदी, मिटाती है मेहँदी
बनाती है मेहँदी, मिटाती है मेहँदी

स गा गा सा नि गा
मा मा रे सा नि

ये रिश्ते हैं रेशम के धागों के जैसे
इन्हें जैसे बाँधो, बंधेंगे ये वैसे
करो दूर हर फ़ासले का अँधेरा
जहाँ खुल गई आँख, समझो सवेरा

गिले और शिकवे मिटाती है मेहँदी
कि बिछड़े हुओं को मिलाती है मेहँदी
गिले और शिकवे मिटाती है मेहँदी
कि बिछड़े हुओं को मिलाती है मेहँदी
कि बिछड़े हुओं को मिलाती है मेहँदी



Credits
Writer(s): Babul Bose, Rani Malik
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