Radha Chori Chori

राधा, चोरी-चोरी छुपके सुन आई, रे, अपने श्याम की बॅंसुरिया
राधा, चोरी-चोरी छुपके सुन आई, रे, अपने श्याम की बॅंसुरिया
राधा कुंज की गलियों में लिख आई, रे, कृष्ण नाम ये उमरिया
राधा, हो, राधा, रे

कृष्ण की बंसी की धुन में ऐसा आकर्षण था
कि गोपियाँ अपनी सुद-बुध भूल जाती थीं
सुबह निकलती थीं अपना काम करने
लेकिन जिस ओर मुरली की आवाज़ आती
उस ओर मुड़ जाती

जमुना तट से जल भरने को लेकर गगरी निकली
होले-होले जा रही थी, पायल छनक रही थी
बस इतने में कुंज गली में मुरली की धुन छाई
बस इतने में कुंज गली में मुरली की धुन छाई
राधा रस्ता भूल गई, कान्हा के निकट चली आई

तो राधा...
राधा, ऐसी नाँची झूमके खो आई, रे, अपने चैन की पायलिया
राधा, चोरी-चोरी छुपके सुन आई, रे, अपने श्याम की बॅंसुरिया
राधा, ओ, राधा

श्याम नाम की चूनर ओढ़ी, स्नेह की मेंहदी राँची
मोहन की सूरत क्या देखी, प्रेम की पोथी बाँची
प्रेम रोग ऐसा है जिसकी औषधि कोई ना पाए
प्रेम रोग ऐसा है जिसकी औषधि कोई ना पाए
ये अग्नि ऐसी जिसमेें बिन जले जिया जल जाए

तो राधा...
राधा, बिरहिन बन गई, भूल आई, रे, अपने जिया की ख़बरिया
राधा, चोरी-चोरी छुपके सुन आई, रे, अपने श्याम की बॅंसुरिया
राधा कुंज की गलियों में लिख आई, रे, कृष्ण नाम ये उमरिया

राधा, हो, राधा, रे, राधा, रे, राधा, रे, हो
राधा, रे, हो, राधा, रे, हो, राधा, रे...



Credits
Writer(s): Maya Govind, Pradyumna Sharma
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