Har Shamma Bujhi Rafta Rafta

हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता
हर ख़्वाब लुटा धीरे-धीरे
शीशा ना सही, पत्थर भी ना था
दिल टूट गया धीरे-धीरे
हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता

बरसों में मारासिम बनते हैं
लम्हों में भला क्या टूटेंगे?
बरसों में मारासिम बनते हैं
लम्हों में भला क्या टूटेंगे?

तू मुझ से बिछड़ना चाहे तो
दीवार उठा धीरे-धीरे

हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता
हर ख़्वाब लुटा धीरे-धीरे
शीशा ना सही, पत्थर भी ना था
दिल टूट गया धीरे-धीरे
हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता

एहसास हुआ बर्बादी का
जब सारे घर में धूल उड़ी
एहसास हुआ बर्बादी का
जब सारे घर में धूल उड़ी

आई है हमारे आँगन में
पतझड़ की हवा धीरे-धीरे

हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता
हर ख़्वाब लुटा धीरे-धीरे
शीशा ना सही, पत्थर भी ना था
दिल टूट गया धीरे-धीरे
हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता

दिल कैसे जला? किस वक़्त जला?
हम को भी पता आख़िर में चला
दिल कैसे जला? किस वक़्त जला?
हम को भी पता आख़िर में चला

फैला है धुआँ चुपके-चुपके
सुलगी है चिता धीरे-धीरे

हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता
हर ख़्वाब लुटा धीरे-धीरे
शीशा ना सही, पत्थर भी ना था
दिल टूट गया धीरे-धीरे
हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता

वो हाथ पराए हो भी गए
अब दूर का रिश्ता है, क़ैसर
वो हाथ पराए हो भी गए
अब दूर का रिश्ता है, क़ैसर

आती है मेरी तन्हाई में
ख़ुशबू-ए-हिना धीरे-धीरे

हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता
हर ख़्वाब लुटा धीरे-धीरे
शीशा ना सही, पत्थर भी ना था
दिल टूट गया धीरे-धीरे

हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता
हर ख़्वाब लुटा धीरे-धीरे
शीशा ना सही, पत्थर भी ना था
दिल टूट गया धीरे-धीरे
हर शम्मा बुझी रफ़्ता-रफ़्ता

रफ़्ता-रफ़्ता
रफ़्ता-रफ़्ता
रफ़्ता-रफ़्ता
रफ़्ता-रफ़्ता



Credits
Writer(s): Anup Jalota, Qaisar Ul Jafri
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