Kabhi Na Bisrun Ram Ko

कभी ना बिसरूँ राम को
चाहे दुनिया बिसरी जाए
दुनिया बिसरी जाए

कभी ना बिसरूँ राम को
चाहे दुनिया बिसरी जाए
दुनिया बिसरी जाए

सब अर्पण उस नाम को
भवसागर पार लगाए
दुनिया बिसरी जाए

वो ही साँचा मीत है
वो ही तारण हार
इस जग में है कुछ नहीं
झूठा सब व्यवहार

चिर संगीं मेरा राम है
वो ही प्रीत जगाए
दुनिया बिसरी जाए

कभी ना बिसरूँ राम को
चाहे दुनिया बिसरी जाए
दुनिया बिसरी जाए

सहज भजूँ हरी नाम को
तजूँ जगत स्नेह
अपना कोई है नहीं
अपनी सगी ना देह

सब कुछ दीना राम ने
अंतर अलख़ जगाए
दुनिया बिसरी जाए

कभी ना बिसरूँ राम को
चाहे दुनिया बिसरी जाए
दुनिया बिसरी जाए

तू ही दाता, तू ही खिवैया
और कही क्यूँ जाऊँ?
तेरे चरण ही मथुरा, काशी
तुझको शीश नवाऊँ

तेरा दर्शन कर के भगवन
जनम-मरन मिट जाए
दुनिया बिसरी जाए

कभी ना बिसरूँ राम को
चाहे दुनिया बिसरी जाए
दुनिया बिसरी जाए

सब अर्पण उस नाम को
भवसागर पार लगाए
दुनिया बिसरी जाए

कभी ना बिसरूँ राम को
चाहे दुनिया बिसरी जाए
दुनिया बिसरी जाए



Credits
Writer(s): Anup Jalota, Manohar Rai
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