Maula

माया मरी ना, ना मन मरा
मर मर गए शरीर
आशा, तृष्णा ना मरी
कह गए संत कबीर
हो माया में अटकी है जान
माया में अटकी है जान
कितना बदल गया इंसान
माया में अटकी है जान
कितना बदल गया इंसान

बुरा जो देखन मैं चला
बुरा ना मिलया
जो मन खोजा अापना
तो मुझसे बुरा ना कोय
तो मुझसे बुरा ना कोय
मौला
माया में अटकी है जान
माया में अटकी है जान
कितना बदल गया इंसान
माया में अटकी है जान
कितना बदल गया इंसान



Credits
Writer(s): Vasuda Sharma
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