Nahin Nigah Mein Manzil
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
न तन में ख़ून फ़राहम न अश्क़ आँखों में
न तन में ख़ून फ़राहम न अश्क़ आँखों में
नमाज़-ए-शौक़ तो वाजिब है बे-वज़ू ही सही
नमाज़-ए-शौक़ तो वाजिब है बे-वज़ू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
किसी तरह तो जमे बज़्म मैकदे वालो
किसी तरह तो जमे बज़्म मैकदे वालो
नहीं जो बादा-ओ-सागर तो हा-ओ-हू ही सही
नहीं जो बादा-ओ-सागर तो हा-ओ-हू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
'गर इंतज़ार कठिन है तो जब तलक़ ऐ दिल
'गर इंतज़ार कठिन है तो जब तलक़ ऐ दिल
किसी की वादा-ए-फ़र्दा की गुफ़्तगू ही सही
किसी की वादा-ए-फ़र्दा की गुफ़्तगू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
दयार-ए-ग़ैर में मेहरम अगर नहीं कोई
दयार-ए-ग़ैर में मेहरम अगर नहीं कोई
तो फ़ैज़ ज़िक्र-ए-वतन अपने रू-ब-रू ही सही
तो फ़ैज़ ज़िक्र-ए-वतन अपने रू-ब-रू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
न तन में ख़ून फ़राहम न अश्क़ आँखों में
न तन में ख़ून फ़राहम न अश्क़ आँखों में
नमाज़-ए-शौक़ तो वाजिब है बे-वज़ू ही सही
नमाज़-ए-शौक़ तो वाजिब है बे-वज़ू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
किसी तरह तो जमे बज़्म मैकदे वालो
किसी तरह तो जमे बज़्म मैकदे वालो
नहीं जो बादा-ओ-सागर तो हा-ओ-हू ही सही
नहीं जो बादा-ओ-सागर तो हा-ओ-हू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
'गर इंतज़ार कठिन है तो जब तलक़ ऐ दिल
'गर इंतज़ार कठिन है तो जब तलक़ ऐ दिल
किसी की वादा-ए-फ़र्दा की गुफ़्तगू ही सही
किसी की वादा-ए-फ़र्दा की गुफ़्तगू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
दयार-ए-ग़ैर में मेहरम अगर नहीं कोई
दयार-ए-ग़ैर में मेहरम अगर नहीं कोई
तो फ़ैज़ ज़िक्र-ए-वतन अपने रू-ब-रू ही सही
तो फ़ैज़ ज़िक्र-ए-वतन अपने रू-ब-रू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
Credits
Writer(s): Faiz Ahmed Faiz, Tina Sani
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