Har Waqt Tere Husn Ka

हर वक़्त तेरे हुस्न का होता है समाँ और
हर वक़्त तेरे हुस्न का होता है समाँ और
हर वक़्त मुझे चाहिए अंदाज़-ए-बयाँ और
हर वक़्त तेरे हुस्न का...

फूलों सा कभी नर्म है, शोलों सा कभी गर्द
फूलों सा कभी नर्म है, शोलों सा कभी गर्द
मस्ताना अदा में कभी शोख़ी है, कभी शर्म
शोख़ी है, कभी शर्म

हर सुबह गुमाँ और है, हर रात गुमाँ और
हर वक़्त तेरे हुस्न का होता है समाँ और
हर वक़्त तेरे हुस्न का...

भरने नहीं पाती तेरे जल्वों से निगाहें
भरने नहीं पाती तेरे जल्वों से निगाहें
थकने नहीं पाती तुझे लिपटा के ये बाँहें
लिपटा के ये बाँहें

छू लेने से होता है तेरा जिस्म जवाँ और
हर वक़्त तेरे हुस्न का होता है समाँ और
हर वक़्त तेरे हुस्न का...

पलता है तेरे हुस्न में तूफ़ान-ए-बहाराँ
पलता है तेरे हुस्न में तूफ़ान-ए-बहाराँ
तू अपनी मिसाल आप है, ऐ जान-ए-बहाराँ
ऐ जान-ए-बहाराँ

दुनिया के हसीनों में कोई तुझ सा कहाँ और
हर वक़्त तेरे हुस्न का होता है समाँ और
हर वक़्त तेरे हुस्न का...



Credits
Writer(s): Ravi, Ludiavani Sahir
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