Kuch Na Kaho

कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
क्या कहना है, क्या सुनना है
मुझको पता है, तुमको पता है
समय का ये पल थम सा गया है
और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो

कितने गहरे हलके, शाम के रंग है छलके
परबत से यूँ उतरे बादल, जैसे आँचल ढलके
और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो

सुलगी सुलगी साँसें, बहकी बहकी धड़कन
महके महके शाम के साए, पिघले पिघले तनमन
और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो

क्या कहना है, क्या सुनना है
मुझको पता है, तुमको पता है
समय का ये पल थम सा गया है
और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Rahul Dev Burman
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