Baap Ka Maal (From "Zila Ghaziabad")

जोबन पे रंग का चाकच चढ़ा है
अरे, जोबन पे रंग का चाकच चढ़ा है
जिसको भी देखो, साला, पीछे पड़ा है

Ghaziabad की रानी हूँ मैं
Ghaziabad की रानी हूँ
मेरा यार यहाँ का कोतवाल

अपने बाप का...
अपने बाप का ना समझो माल
अपने बाप का ना समझो माल
रे, अपने बाप का ना समझो माल
अपने बाप का ना समझो माल

अरे, Ghaziabad का राजा हूँ
कोतवाल का रौब ना डाल

अपने बाप का...
क्यूँ अपने बाप का ना समझूँ माल?
अपने बाप का ना समझूँ माल?

हाय, solid है तेरा figure, figure
Control पे ना जिगर, जिगर
हाय, solid है तेरा figure, figure
Control पे ना जिगर, जिगर
लौंडा ना घर-घाट का रहा
ऐसा चढ़ा है fever, fever

मुफ़त मेरी ना पप्पी मिले
मुफ़त मेरी ना पप्पी मिले
बाँहों में लेने का सोचे, अनाड़ी

Ghaziabad की रानी हूँ
मेरा यार यहाँ का कोतवाल

अपने बाप का...
अपने बाप का ना समझो माल
अपने बाप का ना समझो माल

अरे, Ghaziabad का राजा हूँ
कोतवाल का रौब ना डाल

अपने बाप का...
क्यूँ अपने बाप का ना समझूँ माल?
अपने बाप का ना समझूँ माल?

चाहने वाले तेरे होंगे लाखों
हम सा ना कोई यहाँ, चाहे आज़मा लो
हाँ, चाहने वाले तेरे होंगे लाखों
हम सा ना कोई यहाँ, चाहे आज़मा लो
दिल वाला, जिगर वाला
अपने से ऊँचा यहाँ कोई नहीं, साला

Ghaziabad का राजा हूँ
अरे, Ghaziabad का राजा हूँ
मुझको ठोके सलाम कोतवाल

क्यूँ अपने बाप का...
क्यूँ अपने बाप का ना समझूँ माल?
क्यूँ अपने बाप का ना समझूँ माल?
हे, अपने बाप का ना समझो माल
अपने बाप का ना समझो माल

हाय, जोबन पे रंग का चाकच चढ़ा है
जिसको भी देखो, साला, पीछे पड़ा है

Ghaziabad की रानी हूँ मैं
Ghaziabad की रानी हूँ
मेरा यार यहाँ का कोतवाल

अपने बाप का...
हे, अपने बाप का ना समझो माल
अपने बाप का ना समझो माल
चल, अपने बाप का ना समझो माल
अपने बाप का ना समझो माल

क्यूँ अपने...
रे, अपने...

जा, जा



Credits
Writer(s): Shabbir Ahmed, Nadeem Amjad
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