Dhuaan

धुआँ-धुआँ सी है ज़िंदगी
धुँधला सा है ख़्वाब कहीं
खो गई जाने कहाँ वो खुशी
दिखती नहीं है रोशनी

कैसे दिन थे और कैसी थीं वो रातें
जब करते थे हम सपनों से ही बातें
गुम हो गई है वो हँसी

हो, ना किनारा, हाँ, ना सहारा
हाँ, जाने कहाँ मैं जा रहा
चलते-चलते, hey, राह पर
क्यूँ रुक सी गई है ज़िंदगी?

धुआँ-धुआँ सी है ज़िंदगी
धुँधला सा है ख़्वाब कहीं
खो गई जाने कहाँ वो ख़ुशी
दिखती नहीं है रोशनी

यारी का ऐसा असर था
ना कोई फ़िकर, ना डर था
ज़िंदादिली से जीते थे हम

अब वक्त हम से ख़फ़ा है
जीने की अब ना वजह है
ये कैसा तूफ़ान आ गया?
छुप-छुप के रोने मैं लगा

धुआँ-धुआँ सी है ज़िंदगी
धुँधला सा है ख़्वाब कहीं
खो गई जाने कहाँ वो ख़ुशी
दिखती नहीं है रोशनी



Credits
Writer(s): Prashant Vadhyar, Arshia Nahid
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