Maan Mausam Ka Kaha (From "Unique")

मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा,
आग से आग बुझा फूल खिला जाम उठा ।

ऐ मेरे यार तुझे उसकी कसम देता हूँ,
भूल जा शिकवा गिला हाथ मिला जाम उठा ।

एक पल भी कभी हो जाता है सदीयों जैसा,
देर क्या करना यहाँ हाथ बढ़ा जाम उठा ।

प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर है यहाँ,
मयक़दे में कोई छोटा ना बड़ा जाम उठा ।



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Bashir Badar
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