Banjaara (From "Ek Villain")

जिसे ज़िन्दगी ढूंढ रही है
क्या ये वो मक़ाम मेरा है?
यहां चैन से बस रुक जाऊं
क्यों दिल ये मुझे कहता है
जज़्बात नए मिले हैं
जाने क्या असर ये हुआ है
इक आस मिली फिर मुझको
जो क़बूल किसी ने किया है

हां... किसी शायर की ग़ज़ल
जो दे रूह को सुकून के पल
कोई मुझको यूँ मिला है
जैसे बंजारे को घर
मैं मौसम की सेहर
या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है
जैसे बंजारे को घर

जैसे कोई किनारा, देता हो सहारा
मुझे वो मिला किसी मोड़ पर
कोई रात का तार, करता हो उजाला
वैसे ही रौशन करे, वो शहर

दर्द मेरे वो भुला ही गया
कुछ ऐसा असर हुआ
जीना मुझे फिर से वो सिख रहा

हम्म... जैसे बारिश कर दे तर
या मरहम दर्द पर
कोई मुझको यूँ मिला है
जैसे बंजारे को घर
मैं मौसम की सेहर
या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है
जैसे बंजारे को घर

मुस्काता ये चेहरा, देता है जो पहरा
जाने छुपाता क्या दिल का समंदर
औरों को तो हरदम साया देता है
वो धुप में है खड़ा ख़ुद मगर
चोट लगी है उसे फिर क्यों
महसूस मुझे हो रहा?
दिल तू बता दे क्या है इरादा तेरा?

हम्म... परिंदा बेसबर
था उड़ा जो दरबदर
कोई मुझको यूँ मिला है
जैसे बंजारे को घर
मैं मौसम की सेहर
या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है
जैसे बंजारे को घर
जैसे बंजारे को घर
जैसे बंजारे को घर
जैसे बंजारे को घर



Credits
Writer(s): Mithoon
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