Theheri Theheri Ye Raat

ठहरी-ठहरी ये रात क्या समझा रही है?
सहमी-सहमी कोई दास्ताँ सुना रही है

ठहरी-ठहरी ये रात क्या समझा रही है?
सहमी-सहमी कोई दास्ताँ सुना रही है

रफ़्ता-रफ़्ता ये अँधेरे बेक़रारी में ढलने लगे हैं
लगे हैं, लगे हैं
ये हवाएँ गुस्ताख़ क्यूँ हमारे दिल को ना समझें?
ना समझें, ना समझें, ना समझें

डूबे से हैं चाँद-तारे, खामोश है आसमाँ
तू ही बता ऐ मेरे दिल, तनहा मैं जाऊँ कहाँ?
कोई मंज़िल, ना रस्ता, ना कोई निशाँ है
मंज़र-मंज़र सब कुछ धुआँ ही धुआँ है

रफ़्ता-रफ़्ता मोड़ सारे धुँधले से लगने लगे हैं
लगे हैं, लगे हैं
ये हवाएँ गुस्ताख़ क्यूँ हमारे दिल को ना समझें?
ना समझें, ना समझें, ना समझें

टूटे दिल से ये मोहब्बत करती है यूँ दिल्लगी
हो, झोंके हवा के तोड़ते हैं जैसे घरोंदा कोई
चाहत का है ये दस्तूर कैसा ना जाने
लिखती है ये हमेशा अधूरे फ़साने

रफ़्ता-रफ़्ता ख़ाब सारे आँखों में चुभने लगे हैं
लगे हैं, लगे हैं
ये हवाएँ गुस्ताख़ क्यूँ हमारे दिल को ना समझें?
ना समझें, ना समझें, ना समझें



Credits
Writer(s): Shankar, Shushat, Basant Kumar Chaudhary
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link