Rulakar Chal Diye Ek Din

रुलाकर चल दिए इक दिन हँसी बनकर जो आए थे
रुलाकर चल दिए इक दिन हँसी बनकर जो आए थे
चमन रो-रोके कहता है
चमन रो-रोके कहता है, कभी गुल मुस्कुराए थे
रुलाकर चल दिए इक दिन हँसी बनकर जो आए थे

अगर दिल के ज़ुबाँ होती, ये ग़म कुछ कम तो हो जाता
ये ग़म कुछ कम तो हो जाता
अगर दिल के ज़ुबाँ होती, ये ग़म कुछ कम तो हो जाता
ये ग़म कुछ कम तो हो जाता
उधर वो चुप, इधर सीने में हम तूफ़ाँ छुपाए थे
चमन रो-रोके कहता है, कभी गुल मुस्कुराए थे
रुलाकर चल दिए इक दिन हँसी बनकर जो आए थे

ये अच्छा था न हम कहते किसी से दास्ताँ अपनी
किसी से दास्ताँ अपनी
ये अच्छा था न हम कहते किसी से दास्ताँ अपनी
किसी से दास्ताँ अपनी
समझ पाए ना जब अपने, पराए तो पराए थे
रुलाकर चल दिए इक दिन हँसी बनकर जो आए थे



Credits
Writer(s): Shailendra, Jaikishan, Shankar Shankar
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