Tu Har Lamha

वाक़िफ़ तो हुए तेरे दिल की बात से
छुपाया जिसे तूने क़ायनात से
वाक़िफ़ तो हुए तेरे उस ख़याल से
छुपाया जिसे तूने अपने आप से

कहीं ना कहीं
तेरी आँखें, तेरी बातें पढ़ रहे हैं हम
कहीं ना कहीं
तेरे दिल में, धड़कनो में ढल रहे हैं हम

तू हर लमहा था मुझसे जुड़ा
चाहे दूर था मैं या पास रहा

उस दिन तू हाँ, उदास रहे
तुझे जिस दिन हम ना दिखें, ना मिलें
उस दिन तू चुप-चाप रहे
तुझे जिस दिन कुछ ना कहें, ना सुनें

मैं हूँ बन चुका जीने की एक वजह
इस बात को खुद से तू ना छुपा
तू हर लमहा था मुझसे जुड़ा
चाहे दूर था मैं या पास रहा

लब से भले तू कुछ ना कहे
तेरे दिल में हम ही तो बसें या रहें
साँसें तेरी इक़रार करें
तेरा हाथ अगर छू लें, पकड़ें

तेरी ख्वाहिशें कर भी दे तू बयाँ
यही वक़्त है इनके इज़हार का

तू हर लमहा (हर लमहा) था मुझसे जुड़ा (मुझसे जुड़ा)
चाहे दूर था मैं (दूर था मैं) या पास रहा (पास रहा)



Credits
Writer(s): Sayeed Quadri, Imran Ali, Anupam Amod
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