Din Ke Dhalte Hi Raat Chhane Lagi

दिन के ढलते ही रात छाने लगी
दिन के ढलते ही रात छाने लगी

याद आने लगी, दिल दुखाने लगी
याद आने लगी, दिल दुखाने लगी

दिन के ढलते ही रात छाने लगी
दिन के ढलते ही रात छाने लगी

किसने हौले से छू लिया मुझको?
किसने हौले से छू लिया मुझको?
किसने हौले से छू लिया मुझको?
किसने हौले से छू लिया मुझको?

वो सदा फिर मुझे बुलाने लगी
वो सदा फिर मुझे बुलाने लगी
याद आने लगी, दिल दुखाने लगी

दिन के ढलते ही रात छाने लगी

ज़िंदगी ने तो गले लगाया नहीं
ज़िंदगी ने, ज़िंदगी ने, ज़िंदगी ने...
ज़िंदगी ने तो गले लगाया नहीं
ज़िंदगी ने तो गले लगाया नहीं
ज़िंदगी ने तो गले लगाया नहीं

क्यों कज़ा भी मुझे सताने लगी?
क्यों कज़ा भी मुझे सताने लगी?
याद आने लगी, दिल दुखाने लगी

दिन के ढलते ही रात छाने लगी

कौन है इनकी जो परवाह करे?
कौन है इनके...
स, ग, म, ध-ध, नि, ध
म, प, ध, ग-ग, रे, नि, सा, ग-ग, म
कौन है इनकी जो परवाह करे?
कौन है इनकी जो परवाह करे?

क्यों तमन्नाएँ ख़ुद को सजाने लगी?
क्यों तमन्नाएँ ख़ुद को सजाने लगी?
याद आने लगी, दिल दुखाने लगी

दिन के ढलते ही रात छाने लगी

ग़ज़ल-ए-आदम की वो बेवफ़ा शय भी
ग़ज़ल-ए-आदम की, आदम के, आदम के
ग़ज़ल-ए-आदम की वो बेवफ़ा शय भी
ग़ज़ल-ए-आदम की वो बेवफ़ा शय भी
ग़ज़ल-ए-आदम की वो बेवफ़ा शय भी

गुनगुनाने लगी, ख़ूब गाने लगी
गुनगुनाने लगी, ख़ूब गाने लगी
याद आने लगी, दिल दुखाने लगी

दिन के ढलते ही रात छाने लगी



Credits
Writer(s): Dinesh Arjuna, Prakash Rahule Aadam
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