Sai Ve

कोई अली आखे कोई वली आखे, कोई कहे दाता सचे मालिका नु ।
मेनू समज न आवे की नाम
देवा, एस गोल चकी दिया
चालका नु ॥

रूह दा असल मालिक ओही मानिये जी, जिदा नाम लईए ता सरुर होवे ।
अखा खुलिया नू महबूब दिस्से, अखा बंद होवण ता हुजुर होवे ॥

कोई सौन वेले कोई नहान वेले, कोई गौण वेले तैनू याद करदा ।
एक नजर तू मेहर दी मार साईं, सरताज वी खड़ा फरयाद करदा ॥

साईं वे साढी फरियाद तेरे ताहि, साईं वे बह्हो फ़ढ़ बेड़ा बन्ने लाई ।
साईं वे मेरेआं गुनाहा नु लुकाई, साईं वे हाजरा हजूर वे तू आई ॥

साईं वे साढी फरियाद तेरे ताहि, साईं वे बह्हो फ़ढ़ बेड़ा बन्ने लाई ।
साईं वे मेरेआं गुनाहा नु लुकाई, साईं वे हाजरा हजूर वे तू आई ॥

साईं वे फेरा मस्कीना वाल पाई, साईं वे बोल काक सारा दे पुगई ।
साईं वे हक विच फैसले सुनाई, साईं वे हौली - हौली खामिया घटाई ।
साईं वे मेनू मेरे अन्द्रो मुकाई, साईं जे डीगिये ता फर के उठाई ।
साईं वे देखि ना भरोसे आजमाई, साईं वे औखे - सौखे



Credits
Writer(s): Jatinder Shah, Satinder Sartaaj
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