Aap Ki Khatir - Unplugged (From "Aap Ki Khatir")

दर्द के तूफ़ान दिल में उठते हैं
लम्हें सदियों की तरह कटते हैं
हम मिटाना चाहे जो कभी
आपके नक़्श कहाँ मिटते हैं

हमेशा तनहाइयों की मजलिस में आपका हमने इंतज़ार किया
आपकी ख़ातिर कमबख़्त दिल ने दर्द में सिमटी हुई गहराइयों से भी प्यार किया

आप की ख़ातिर मेरे दिल का जहाँ है हाज़िर
आप की ख़ातिर मेरे दिल का जहाँ है हाज़िर
अपने सारे अरमाँ
अपने सारे अरमाँ कर दूँ मैं ज़ाहिर, कर दूँ मैं ज़ाहिर

आप की ख़ातिर मेरे दिल का जहाँ है हाज़िर
अपने सारे अरमाँ कर दूँ मैं ज़ाहिर, कर दूँ मैं ज़ाहिर

यूँ अरमानों पे छाएँगे शफ़क़ चाहत के, सोचा ना था कभी
यूँ हमारे चैन को इतनी तक़लीफ़ पहुँचाएँगे लम्हें आपकी मोहब्बत के, सोचा ना था कभी
यूँ आपकी क़शिश का जादू चलेगा जिस्म-ओ-जाँ पे
कि आप ही आप नज़र आएँगे अंजुमन में, सहरा में, ज़मीं-आसमाँ पे, सोचा ना था कभी

हमेशा तनहाइयों की मजलिस में आपका हमने इंतज़ार किया
आपकी ख़ातिर कमबख़्त दिल ने दर्द में सिमटी हुई गहराइयों से भी प्यार किया

इश्क़ भी क्या चीज़ है, इसमें होश रहता नहीं
ये तो है सिलसिला चैन-ओ-सुकून का, दिल के जुनून का आफ़रीं
इश्क़ भी क्या चीज़ है, इसमें होश रहता नहीं
ये तो है सिलसिला चैन-ओ-सुकून का, दिल के जुनून का आफ़रीं

आपकी बातों से, मुलाक़ातों से, ख़्यालों से
हुआ मैं हुआ बड़ा ही मुतासिर

आप की ख़ातिर मेरे दिल का जहाँ है हाज़िर
अपने सारे अरमाँ कर दूँ मैं ज़ाहिर, कर दूँ मैं ज़ाहिर

हमने आपसे उम्मीद की भी तो क्या?
थोड़ी सी शिद्दत, थोड़ी सी वफ़ा
यूँ हमारी इतनी सी गुज़ारिश क़ुबूल करने के लिए आप हमें इतना तरसाएँगे, सोचा ना था कभी
यूँ हमारे ख़ाबों को मुकम्मल करने के लिए इस-क़दर आप हमें पल-पल तड़पाएँगे, सोचा ना था कभी

हमेशा तनहाइयों की मजलिस में आपका हमने इंतज़ार किया
आपकी ख़ातिर कमबख़्त दिल ने दर्द में सिमटी हुई गहराइयों से भी प्यार किया

आप की (आप की)
आप की (आप की)
आप की (आप की)
आप की (आप की)

कभी-कभी तो होती है यहाँ मुकम्मल आशिक़ी
कई करवटें लेगी ये ज़िंदगी बदले ना नज़र आपकी
कभी-कभी तो होती है यहाँ मुकम्मल आशिक़ी
कई करवटें लेगी ये ज़िंदगी बदले ना नज़र आपकी

आपको बताऊँ कैसे? यारा, समझाऊँ कैसे?
साथ ऐसा मिलेगा ना फिर

आप की ख़ातिर मेरे दिल का जहाँ है हाज़िर
अपने सारे अरमाँ कर दूँ मैं ज़ाहिर, कर दूँ मैं ज़ाहिर
आप की ख़ातिर मेरे दिल का जहाँ है हाज़िर
अपने सारे अरमाँ कर दूँ मैं ज़ाहिर, कर दूँ मैं ज़ाहिर



Credits
Writer(s): Sameer, Himesh Vipin Reshammiya
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