Jab Tak Hai Jaan: The Poem

तेरी आँखों की नमकीन मस्तियाँ
तेरी हंसी की बेपरवाह गुस्ताखियाँ
तेरी ज़ुल्फ़ों की लहराती अंगड़ाइयां
नहीं भूलूंगा मैं
जब तक है जान, जब तक है जान

तेरा हाथ से हाथ छोड़ना
तेरा सायों से रुख मोड़ना
तेरा पलट के फिर न देखना
नहीं माफ़ करूँगा मैं
जब तक है जान, जब तक है जान

बारिशों में बेधड़क तेरे नाचने से
बात बात पे बेवजह तेरे रूठने से
छोटी छोटी तेरी बचकानी बदमाशियों से
मोहब्बत करूँगा मैं
जब तक है जान, जब तक है जान

तेरे झूठे कस्मे वादों से
तेरे जलते सुलगते ख्वाबों से
तेरी बे-रहम दुआओं से
नफरत करूँगा मैं
जब तक है जान, जब तक है जान



Credits
Writer(s): A R Rahman, Gulzar
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