Patli Qamar Hai

पतली कमर है तिरछी नज़र है खिले फूल सी तेरी जवानी कोई बताये कहाँ क़सर है
ओ आजा मेरे मन चाहे बालम आजा तेरा आँखों में घर है मैं चंचल मद्मस्त
पवन हूँ झूम झूम हर कली को चुमूँ बिछड़ गयी मैं घायल हिरणी
तुमको ढूँढूँ बन बन घूमूँ मेरी ज़िंदगी मस्त सफ़र है पतली कमर है ...
तुम बिन नैनों की बरसातें रोक न पाऊँ लाख मनाऊँ मैं बहते दरिया का पानी
खेल किनारों से बढ़ जाऊँ बँध न पाऊँ
नया नगर नित नयी डगर है पतली कमर है ...



Credits
Writer(s): Shailendra, Jaikshan Shankar
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