Har Shaam Nigaho Se

हर शाम निगाहों से...
हर शाम निगाहों से यूँ जाम छलकते हैं
रंगीन ये महफ़िल है...
रंगीन ये महफ़िल है, जज़्बात बहकते हैं
हर शाम निगाहों से...

ये हुस्न का जादू भी करता है अजब आलम
ये हुस्न का जादू भी करता है अजब आलम
दीदार की चाहत में...
दीदार की चाहत में दिल और धड़कते हैं
हर शाम निगाहों से यूँ जाम छलकते हैं
हर शाम निगाहों से...

अनजानी हूँ महफ़िल से, बेगानी हूँ मंज़िल से
अनजानी हूँ महफ़िल से, बेगानी हूँ मंज़िल से
ये कौन सी दुनिया है?
ये कौन सी दुनिया है? सब लोग बहकते हैं
हर शाम निगाहों से यूँ जाम छलकते हैं
हर शाम निगाहों से...

बाज़ार की रौनक है बेबाक़ हसीनाएँ
बाज़ार की रौनक है बेबाक़ हसीनाएँ
गजरे हैं, अदाएँ हैं...
गजरे हैं, अदाएँ हैं, पैमाने खनकते हैं
हर शाम निगाहों से यूँ जाम छलकते हैं
हर शाम निगाहों से...



Credits
Writer(s): Khaiyyaam
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