Voh Dekhnay Mein

वो देखने में कैसी सीधी सादी लगती
है बोलती कि वो तो कुछ नहीं समझती
अंदर से कितनी तेज़ है

कभी अजीब सी कभी हसीन लगती
कभी किसी किताब का ही सीन लगती
Philosophy का craze है

हो कहती है ये एक phase है
वो देखने में कैसी सीधी सादी लगती
है बोलती कि वो तो कुछ नहीं समझती
अंदर से कितनी तेज़ है
कभी अजीब सी कभी हसीन लगती
कभी किसी किताब का ही सीन लगती
Philosophy का craze है
हो कहती है ये एक phase है
हो कहती है ये एक phase है

ये कहाँ मैं आ गया बोलो कैसा ये दयार है
दिल किसी का हो गया ना इसपे इख़्तियार है
करूँ तो क्या करूँ कहूँ तो क्या कहूँ

ये गाना भी तो उसको पास लाने का बहाना है
वो चुपके-चुपके मेरे दिल के राज़ खोलती
अटक के तकिये में मेरे ख़्वाब भी टटोलती
Possessiveness का case है

जाने जाँ जानेमन तो हर गाने में आता है
परवाना Romeo हर लड़का ही बन जाता है
लिखूँ तो क्या लिखूँ, बनूँ तो क्या बनूँ
ये फिल्मों में लड़का ही क्यूँ लड़की को फँसाता है
मैं चाहूँ भी तो मैं अजीब कर जाता हूँ
वो आए सामने तो मैं सुधर जाता हूँ
लड़की इक full on chase है
हो कहती है ये एक phase है
वो देखने में कैसी सीधी सादी लगती
है बोलती कि वो तो कुछ नहीं समझती
अंदर से कितनी तेज़ है
कभी अजीब सी कभी हसीन लगती
कभी किसी किताब का ही सीन लगती
Philosophy का craze है

हो कहती है ये एक phase है
हो कहती है ये एक phase है



Credits
Writer(s): Ali Zafar
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