Mujhe Khat Likhna

जब मेरी याद सताए तो मुझे ख़त लिखना
जब मेरी याद सताए तो मुझे ख़त लिखना
तुमको जब नींद ना आए तो मुझे ख़त लिखना
जब मेरी याद सताए तो मुझे ख़त लिखना

गिले पेड़ों की घनी छाँव में हँसता सावन
प्यासी धरती में समाने को तरसता सावन
रात-भर छत पे लगातार बरसता सावन

दिल में जब आग लगाए तो...
दिल में जब आग लगाए तो मुझे ख़त लिखना
तुमको जब नींद ना आए तो मुझे ख़त लिखना

जब खड़क उठे किसी शाख़ पे पत्ता कोई
गुदगुदाए तुम्हें बिता हुआ लम्हा कोई
जब मेरी याद का बेचैन पपीहा कोई

जी को रह-रह के जलाए तो...
जी को रह-रह के जलाए तो मुझे ख़त लिखना
तुमको जब नींद ना आए तो मुझे ख़त लिखना

जब निगाहों के लिए कोई नज़ारा ना रहे
चाँद छुप जाए, गगन पर कोई तारा ना रहे
भरे संसार में जब कोई सहारा ना रहे

लोग हो जाए पराए तो...
लोग हो जाए पराए तो मुझे ख़त लिखना
तुमको जब नींद ना आए तो मुझे ख़त लिखना
जब मेरी याद सताए तो मुझे ख़त लिखना



Credits
Writer(s): Zafar Gorakhpuri, Kuldip Singh
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