Thodi Door Saath Chalo - Live Version

Ahmed Faraz की एक ताज़ा ग़ज़ल पेश-ए-ख़िदमत है (इशराद, इशराद, इशराद)
ये ग़ज़ल आपको ज़रा आहिस्ता चल की याद दिलाएगी

कठिन है राह-गुज़र
थोड़ी दूर साथ चलो (ओ-हो)
कठिन है राह-गुज़र
थोड़ी दूर साथ चलो

बहुत कड़ा है सफ़र
थोड़ी दूर साथ चलो (वाह! वाह! बहुत अच्छे, बहुत अच्छे)
कठिन है राह-गुज़र
थोड़ी दूर साथ चलो

तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है (बहुत अच्छे)
तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है

मैं जानता हूँ, मगर
थोड़ी दूर साथ चलो (वाह! वाह! बहुत अच्छे, क्या बात है!)
मैं जानता हूँ, मगर
थोड़ी दूर साथ चलो

बहुत कड़ा है सफ़र
थोड़ी दूर साथ चलो (अरे, वाह!)
कठिन है राह-गुज़र
थोड़ी दूर साथ चलो

ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़निमत है (क्या बात है)
ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़निमत है

किसे है कल की ख़बर
थोड़ी दूर साथ चलो (वाह!)
किसे है कल की ख़बर
थोड़ी दूर साथ चलो (बहुत अच्छे)

बहुत कड़ा है सफ़र
थोड़ी दूर साथ चलो
कठिन है राह-गुज़र
थोड़ी दूर साथ चलो

अभी तो जाग रहे हैं चिराग़ राहों के
अभी तो जाग रहे हैं चिराग़ राहों के

अभी है दूर सहर
थोड़ी दूर साथ चलो (बहुत अच्छे)
अभी है दूर सहर
थोड़ी दूर साथ चलो

बहुत कड़ा है सफ़र
थोड़ी दूर साथ चलो
कठिन है राह-गुज़र
थोड़ी दूर साथ चलो

कठिन है राह-गुज़र
थोड़ी दूर साथ चलो



Credits
Writer(s): Pankaj Udhas, Ahmed Faraz
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