Utha Jag Musafir

उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी
उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी

अब रैन कहाँ, जो सोवत है
जो सोवत है वो खोवत है
जो सोवत है वो खोवत है
जो जागत है वो पावत है

उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी
उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी

टुक नींद से अँखियाँ खोल ज़रा
ऐ, काफ़िल रब से ध्यान लगा
टुक नींद से अँखियाँ खोल ज़रा
ऐ, काफ़िल रब से ध्यान लगा

ये प्रीतकरण की रीत नहीं
ये प्रीतकरण की रीत नहीं
रब जागत है, तू सोवत है

उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी
उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी

ऐ, जान, भुगत करनी अपनी
ओ, पापी पाप में चैन कहाँ
ऐ, जान, भुगत करनी अपनी
ओ, पापी पाप में चैन कहाँ

जब पाप की गठरी शीश धरी
जब पाप की गठरी शीश धरी
फिर शीश पकड़ क्यूँ रोवत है?

उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी
उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी

जो काल करे सो आज कर ले
और आज करे सो अब कर ले
जो काल करे सो आज कर ले
और आज करे सो अब कर ले

जब चिड़ियन खेती चुगड़ारी
जब चिड़ियन खेती चुगड़ारी
फिर पछताए क्या होवत है?

उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी
उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी

अब रैन कहाँ जो सोवत है (जो सोवत है)
जो सोवत है वो खोवत है
जो सोवत है वो खोवत है
जो जागत है वो पावत है

उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी (भोर भयी)
उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी (भोर भयी)

उठ, जाग मुसाफ़िर, भोर भयी



Credits
Writer(s): Ashit Desai
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