Ishq To Ishq Hai

ये दुनिया वाले पागल हैं, जो आशिक़ों को समझाते हैं
जो आग ना बुझे समुंदरों से, उसे फूँकों से बुझाते हैं

ये नहीं जानता, ये नहीं मानता
झूठे संसार को, ऊँची दीवार को
ये ज़माना इसका दुश्मन हो भी जाए तो क्या

(इश्क़ तो इश्क़ है, इश्क़ झुकता नहीं)
(इश्क़ झुकता नहीं, इश्क़ मरता नहीं)

ये नहीं जानता, ये नहीं मानता
झूठे संसार को, ऊँची दीवार को
ये ज़माना इसका दुश्मन हो भी जाए तो क्या

(इश्क़ तो इश्क़ है, इश्क़ झुकता नहीं)
(इश्क़ झुकता नहीं, इश्क़ मरता नहीं)

आँखें लड़ती है, प्यार होता है
(आँखें लड़ती है, प्यार होता है)
दिल पे अनदेखा वार होता है
(दिल पे अनदेखा वार होता है)
ये ज़माना इसका दुश्मन हो भी जाए तो क्या

(इश्क़ तो इश्क़ है, इश्क़ झुकता नहीं)
(इश्क़ झुकता नहीं, इश्क़ मरता नहीं)

चढ़ के सूली पे प्यार मिलता है
(चढ़ के सूली पे प्यार मिलता है)
खुद फ़ना होकर यार मिलता है
(खुद फ़ना होकर यार मिलता है)
ये ज़माना इसका दुश्मन हो भी जाए तो क्या

(इश्क़ तो इश्क़ है, इश्क़ झुकता नहीं)
(इश्क़ झुकता नहीं, इश्क़ मरता नहीं)

इश्क़ रहता है आसमानों पे
(इश्क़ रहता है आसमानों पे)
नूर इसका है दो जहानों पे
(नूर इसका है दो जहानों पे)
ये ज़माना इसका दुश्मन हो भी जाए तो क्या

(इश्क़ तो इश्क़ है, इश्क़ झुकता नहीं)
(इश्क़ झुकता नहीं, इश्क़ मरता नहीं)

हो, इश्क़ ही रातों का आराम चुराता है
(इश्क़ ही रातों का आराम चुराता है)
अपनी आग में खुद को आप जलाता है (जलाता है)

(इश्क़ तो इश्क़ है, इश्क़ झुकता नहीं)
(इश्क़ झुकता नहीं, इश्क़ मरता नहीं)

है जान तुम्हारी (इश्क़, इश्क़), पहचान तुम्हारी (इश्क़, इश्क़)
फूलों से तुमको (इश्क़, इश्क़), कलियों से तुमको (इश्क़, इश्क़)
लैला का जैसे मजनू से, ऐसा वतन तुमको से (इश्क़, इश्क़)
था बुल्लेह शाह को मुर्शिद से, ऐसा वतन तुमको से (इश्क़, इश्क़)

हम सबका प्यार हो तुम, ਸੋਹਣੇ ਦੀਦਾਰ ਹੋ ਤੁਮ
यारों के यार हो तुम, जो काटे ज़ुल्म को जड़ से
ऐसी तलवार हो तुम (ऐसी तलवार हो तुम)
दुश्मन से कभी ना टूटे ऐसी दीवार हो तुम
(दुश्मन से कभी ना टूटे ऐसी दीवार हो तुम)
(दुश्मन से कभी ना टूटे ऐसी दीवार हो तुम)

ऐसी दीवार हो तुम



Credits
Writer(s): Khwaja Parvez
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