Be-Sabab Baat (From "Face To Face")
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
हम ख़फ़ा कब थे? मनाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
आपके दम से तो दुनिया का भरम है क़ायम
आपके दम से तो दुनिया का भरम है क़ायम
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
हम ख़फ़ा कब थे? मनाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
तेरा कूचा, तेरा दर, तेरी गली काफ़ी है
तेरा कूचा, तेरा दर, तेरी गली काफ़ी है
बे-ठिकानों को ठिकाने की ज़रूरत क्या है?
बे-ठिकानों को ठिकाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
हम ख़फ़ा कब थे? मनाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
रंग आँखों के लिए, बू है दिमाग़ों के लिए
रंग आँखों के लिए, बू है दिमाग़ों के लिए
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है?
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
हम ख़फ़ा कब थे? मनाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
हम ख़फ़ा कब थे? मनाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
आपके दम से तो दुनिया का भरम है क़ायम
आपके दम से तो दुनिया का भरम है क़ायम
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
हम ख़फ़ा कब थे? मनाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
तेरा कूचा, तेरा दर, तेरी गली काफ़ी है
तेरा कूचा, तेरा दर, तेरी गली काफ़ी है
बे-ठिकानों को ठिकाने की ज़रूरत क्या है?
बे-ठिकानों को ठिकाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
हम ख़फ़ा कब थे? मनाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
रंग आँखों के लिए, बू है दिमाग़ों के लिए
रंग आँखों के लिए, बू है दिमाग़ों के लिए
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है?
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
हम ख़फ़ा कब थे? मनाने की ज़रूरत क्या है?
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है?
Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Sabir Dutt
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