Chal Ud Jare Panchhi (From "Bhabhi") [1957]

चल उड़ जा रे पंछी
कि अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी

भूल जा अब वो मस्त हवा, वो उड़ना डाली-डाली
जब आँख की काँटा बन गई, चाल तेरी मतवाली
कौन भला उस बाग़ को पूछे, हो ना जिसका माली
तेरी क़िस्मत में लिखा है, जीते जी मर जाना
चल उड़ जा रे पंछी, कि अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी

रोते हैं वो पँख-पखेरू साथ तेरे जो खेले
जिनके साथ लगाये तूने अरमानों के मेले
भीगी अखियों से ही उनकी, आज दुआयें ले ले
किसको पता अब इस नगरी में कब हो तेरा आना
चल उड़ जा रे पंछी, कि अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी



Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Chitragupta
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