Ishq Chadha Hai

ज़रा छू के लबों को तेरे मुझसे
कहीं ना अब दूर जा
अरे, रुक जा बाहों में मेरी ऐसे
जैसे के दिन ढले शाम में

ज़रा छू के लबों को तेरे मुझसे
कहीं ना अब दूर जा
अरे, रुक जा बाहों में मेरी ऐसे
जैसे के दिन ढले शाम में

सर पे भूत चढ़ा है तेरे इश्क़ का
नया रंग लगा है तेरे इश्क़ का
सर पे भूत चढ़ा है तेरे इश्क़ का
नया रंग लगा है तेरे इश्क़ का

तेरी नज़र, नज़र का जादू
मुझपे ऐसे छाया जैसे
पहली बारिश की हो बूँदें
मेरी दुआ, मेरी उमर
अब तो जो भी मेरा
सबकुछ तेरे नाम कर दूँ मैं

सर पे भूत...
नया रंग लगा है...

सर पे भूत चढ़ा है तेरे इश्क़ का
नया रंग लगा है तेरे इश्क़ का
सर पे भूत चढ़ा है तेरे इश्क़ का
नया रंग लगा है तेरे इश्क़ का

तेरा रंग चढ़ा है, रंग चढ़ा है, रंग चढ़ा
तेरा रंग चढ़ा है, रंग चढ़ा है, रंग चढ़ा है
सर पे भूत चढ़ा है तेरे इश्क़ का
नया रंग लगा है तेरे इश्क़ का



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