Yeh Zindagi (From "Insight")

ये ज़िंदगी, ये ज़िंदगी
ये ज़िंदगी आज जो तुम्हारे बदन की
छोटी-बड़ी नसों में मचल रही है
तुम्हारे पैरों से चल रही है

ये ज़िंदगी, ये ज़िंदगी
तुम्हारी आवाज़ में गले से निकल रही है
तुम्हारे लफ़्ज़ों में ढल रही है

ये ज़िंदगी, ये ज़िंदगी
ये ज़िंदगी जाने कितनी सदियों से
यूँ ही शक्लें बदल रही हैं
ये ज़िंदगी, ये ज़िंदगी

बदलती शक्लों, बदलते जिस्मों में
चलता-फिरता ये इक शरारा
जो इस घड़ी नाम है तुम्हारा
इसी से सारी चहल-पहल है
इसी से रौशन है हर नज़ारा

सितारे तोड़ो या घर बसाओ
क़लम उठाओ या सर झुकाओ
तुम्हारी आँखों की रोशनी तक है खेल सारा
ये खेल होगा नहीं दोबारा
ये खेल होगा नहीं दोबारा
ये खेल होगा नहीं दोबारा



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Nida Fazli
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