Rukh Se Parda - Live

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा, साक़िया
बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा
है जो बेहोश वो होश में आएगा
है जो बेहोश वो होश में आएगा
गिरने वाला है जो वो सँभल जाएगा

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा, साक़िया
बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

तुम तसल्ली ना दो, सिर्फ़ बैठे रहो
वक़्त कुछ मेरे मरने का टल जाएगा
तुम तसल्ली ना दो, सिर्फ़ बैठे रहो
तुम तसल्ली ना दो, सिर्फ़ बैठे रहो
वक़्त कुछ मेरे मरने का टल जाएगा

क्या ये कम है मसीहा के रहने ही से
मौत का भी इरादा बदल जाएगा
रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा, साक़िया
बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा
रुख़ से पर्दा उठा दे...



Credits
Writer(s): Jagjit Singh Dhiman
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