Kabhie Maikhane Tak - Live In India/1983

कभी मय-ख़ाने तक जाते हैं हम

कभी मय-ख़ाने तक जाते हैं हम
और कम भी पीते हैं
कभी मय-ख़ाने तक जाते हैं हम
और कम भी पीते हैं

घटा ज़ुल्फ़ों की छा जाए तो
बे-मौसम भी पीते हैं
कभी मय-ख़ाने तक जाते हैं हम
और कम भी पीते हैं

कोई अपनी तरह मय-ख़ाने में पीकर तो दिखलाए
कोई अपनी तरह मय-ख़ाने में पीकर तो दिखलाए
के हम मय ही नहीं पीते हैं...
के हम मय ही नहीं पीते हैं, अश्क-ए-ग़म भी पीते हैं

घटा ज़ुल्फ़ों की छा जाए तो
बे-मौसम भी पीते हैं
कभी मय-ख़ाने तक जाते हैं हम
और कम भी पीते हैं

हमारी प्यास का सबसे अलग अंदाज़ है, Rashid
हमारी प्यास का सबसे अलग अंदाज़ है, Rashid
कभी दरिया को ठुकराते हैं...
कभी दरिया को ठुकराते हैं, कभी शबनम भी पीते हैं

कभी मय-ख़ाने तक जाते हैं हम
और कम भी पीते हैं
घटा ज़ुल्फ़ों की छा जाए तो
बे-मौसम भी पीते हैं

कभी मय-ख़ाने तक जाते हैं हम
और कम भी पीते हैं



Credits
Writer(s): Mumtaz Rashid, Pankaj Udhas
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