Majboori Ke Mausam Mein

मजबूरी के मौसम में भी जीना पड़ता है
मजबूरी के मौसम में भी जीना पड़ता है
थोड़ा सा समझौता, जानम, करना पड़ता है
मजबूरी के मौसम में भी जीना पड़ता है

कभी-कभी कुछ इस हद तक बढ़ जाती है लाचारी
कभी-कभी कुछ इस हद तक बढ़ जाती है लाचारी
लगता है ये जीवन, जैसे बोझ हो कोई भारी

दिल कहता है रोए...
दिल कहता है रोए, लेकिन हँसना पड़ता है
मजबूरी के मौसम में भी जीना पड़ता है

कभी-कभी इतनी धुँधली हो जाती हैं तस्वीरें
कभी-कभी इतनी धुँधली हो जाती हैं तस्वीरें
पता नहीं चलता, क़दमों में कितनी हैं ज़ंजीरें

पाँव बंधे होते हैं...
पाँव बंधे होते हैं, फिर भी चलना पड़ता है
मजबूरी के मौसम में भी जीना पड़ता है

रूठ के जाने वाला बादल, टूटने वाला तारा
रूठ के जाने वाला बादल, टूटने वाला तारा
किसको ख़बर, किन लम्हों में बन जाए कौन सहारा

दुनिया जैसी भी हो...
दुनिया जैसी भी हो, रिश्ता रखना पड़ता है
मजबूरी के मौसम में भी जीना पड़ता है
थोड़ा सा समझौता, जानम, करना पड़ता है
मजबूरी के मौसम में भी जीना पड़ता है



Credits
Writer(s): Zafar Gorakhpuri, Pankaj Udhas
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