Phoolon Ka Khel Hai

जिन लोगों को, ऐ साक़िया, हम रोते हैं
वो अपने मज़ारों में पड़े सोते हैं
भर जाम, ना कर याद, वो सब पीते थे
हम जिनके लिए अपना समय खोते हैं

मय पी के अजब रंग नया लाती है
हालत पे तेरी मुझको हँसी आती है
बुलबुल ने मेरे कान में चुपके से कहा
"कब मिलती है जो उम्र गुज़र जाती है?"

फूलों का खेल है, कभी पत्थर का खेल है
फूलों का खेल है, कभी पत्थर का खेल है
इंसाँ की ज़िंदगी तो मुक़द्दर का खेल है
फूलों का खेल है, कभी पत्थर का खेल है

जादू से अपने पास बुलाकर, फ़रेब से
जादू से अपने पास बुलाकर, फ़रेब से

नदियों को लूटना तो समंदर का खेल है
नदियों को लूटना तो समंदर का खेल है
इंसाँ की ज़िंदगी तो मुक़द्दर का खेल है
फूलों का खेल है, कभी पत्थर का खेल है

हम जिसको ढूँढते हैं ज़माने में उम्र-भर
हम जिसको ढूँढते हैं ज़माने में उम्र-भर

वो ज़िंदगी तो अपने ही अंदर का खेल है
वो ज़िंदगी तो अपने ही अंदर का खेल है
इंसाँ की ज़िंदगी तो मुक़द्दर का खेल है
फूलों का खेल है, कभी पत्थर का खेल है

हर लम्हा हौसलों के मुक़ाबिल हैं हादसे
हर लम्हा हौसलों के मुक़ाबिल हैं हादसे

दोनों के दरमियान बराबर का खेल है
दोनों के दरमियान बराबर का खेल है
इंसाँ की ज़िंदगी तो मुक़द्दर का खेल है
फूलों का खेल है, कभी पत्थर का खेल है
फूलों का खेल है, कभी पत्थर का खेल है



Credits
Writer(s): Pankaj Udhas
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