Dono Ke Darmiyan - Live

दोस्तों, एक और ग़ज़ल पेश है
(इरशाद, इरशाद, इरशाद)

दोनों के दरमियाँ ये अजब फ़ासला रहा

दोनों के दरमियाँ ये अजब फ़ासला रहा
वो मेरे पास होके भी मुझसे जुदा रहा
दोनों के दरमियाँ ये अजब फ़ासला रहा
वो मेरे पास होके भी मुझसे जुदा रहा
दोनों के दरमियाँ ये...

उसकी जुदाई ऐसे मेरे दिल पे जा लगी
उसकी जुदाई ऐसे मेरे दिल पे जा लगी
उसकी जुदाई ऐसे मेरे दिल पे जा लगी
उसकी जुदाई ऐसे मेरे दिल पे जा लगी

मैं अपने-आप से कई बरसों ख़फ़ा रहा
मैं अपने-आप से कई बरसों ख़फ़ा रहा
वो मेरे पास होके भी मुझसे जुदा रहा
दोनों के दरमियाँ ये...

ज़रा ग़ौर फ़रमाइएगा
क्या अच्छा का ख़याल है

मैंने यूँ ही मज़ाक में उसको कहा था चाँद (वाह! वाह! क्या बात है)
मैंने यूँ ही मज़ाक में उसको कहा था चाँद
मैंने यूँ ही मज़ाक में उसको कहा था चाँद
मैंने यूँ ही मज़ाक में उसको कहा था चाँद

आईना बार-बार कोई देखता रहा (क्या बात है)
आईना बार-बार कोई देखता रहा
वो मेरे पास होके भी मुझसे जुदा रहा
दोनों के दरमियाँ ये...

ग़ज़ल का मक़्ता अर्ज़ है (इरशाद, इरशाद)
जनाब Saeed Rahi की लिखी हुई ग़ज़ल है

यारों, ज़रा बताओ कि Rahi को क्या हुआ?
यारों, ज़रा बताओ कि Rahi को क्या हुआ?
...Rahi को क्या हुआ?
...Rahi को क्या हुआ?
...Rahi को क्या हुआ?
...Rahi को क्या हुआ?
उसको क्या हुआ? (क्या बात है)
यारों, ज़रा बताओ कि Rahi को क्या हुआ?

अपनी गली में अपना पता पूछता रहा (क्या बात है, बहुत खूब)
अपनी गली में अपना पता पूछता रहा
वो मेरे पास होके भी मुझसे जुदा रहा (बहुत अच्छे)
दोनों के दरमियाँ ये अजब फ़ासला रहा
वो मेरे पास होके भी मुझसे जुदा रहा
दोनों के दरमियाँ ये...



Credits
Writer(s): Pankaj Udhas, Saeed Rahi
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